दिल्लीवासियों पर एक बार फिर अर्थव्यस्था का बहाना बनाकर
मंहगाई का बम केन्द्र सरकार ने फोड़ दिया । मंत्रालय ने गैस ऐंजेंसी संचालकों का
कमीशन तो बढा दिया है लेकिन इसका अतिरिक्त भार उपभोक्ताओं पर डाल कर। सरकार के नए
फैसले में रियायती दाम पर मिलने वाले सिलेंडर 11.42 और गैर रियायती दर पर मिलने
वाले सिलेंडर 12.27 पैसे के बढे हुऐ रेट पर मिलेंगे। हांलाकि जब शुरूआत में दाम
बढाने पर चर्चा हो रही थी तब पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री जयपाल रेड्डी ने डीजल में 5 रू की बढ़ोतरी की घोषणा के साथ
रेड्डी ने कहा था कि रसौई गैस और मिट्टी के तेल के दाम नही बढाए जायेंगे लेकिन 12
सब्सिडी के आधार पर मिलने वाले सिलेंडरों की संख्या 6 होगी जिसके बाद से सांतवा
सिलेंडर बिना सब्सिडी के आधार पर मिलेगा लेकिन इस फैसले पर सभी राजनीतिक दलों ने राजनीति के तवे पर अपनी अपनी रोटियां सेंकनी
शुरू की और केंद्र सरकार पर मंहगाई का
ठीकरा फोड़ते हुऐ उसे आड़े हाथों लिया। जगह जगह सरकार के इस फैसले पर कड़े विरोध
प्रदर्शन किये गये लोगो ने अपने घर से सिलेंडरों को अंदर से ले जाकर बाहर फैंकना
शुरू कर दिया लोगो के इस कड़े रूख के बाद सरकार ने इस 6 सिलेंडरों वाली स्कीम में
फेरबदल करते हुऐ सब्सिडी पर मिलने वाले सिलेंडरों की संख्या 6 से बढाकर 9 कर दी वो
भी केवल कांग्रेस शासित राज्यों में इसके साथ ही जिसके पास लाल और पीला कार्ड होगा
केवल वही 6 सिलेंडरो के बाद से भी सांतवा और बाकी के सिलेंडर सब्सिडी की योजना के
अंतर्गत ले सकेंगे और मैंगो मैन अर्थात आम व्यक्ति को 6 सिलेंडर के बाद से कोई
रियायत नही दी जायेगी लेकिन अब दोबारा जो फैसला लिया गया है उसमें तो दोनो ही वर्ग
को रोना पड़ेगा बशर्ते किसी को कम तो किसी को ज्यादा क्योंकि जो 9 सिलेंडर सब्सिडी पर मिलेंगे उस पर गरीबा रेखा
वाले कार्ड धारकों को मौजूदा कीमत से 11.42 पैसे अधिक देने होंगे जबकि कॉमन मैन को
6 सिलेंडरो तक तो मौजूदा कीमत से 11.42 पैसे अधिक देने होंगे लेकिन जैसे ही उसकी
सब्सिडी सहित सिलेंडरों की संख्या सीमा खत्म हो जायेगी उसे मौजूदा कीमत से 12.27
पैसै अधिक चुकाने होंगे अर्थात इस फैसले से दोनो वर्ग के आंसू तो निकलना तय है ।
इस फैसले के अलावा वाहन चालकों पर भी सरकार की गाज गिर सकती क्योंकि पैट्रोल
मंत्रालय ने पैट्रोल पर भी दाम बढाने के संकेत जाहिर कर दिये हैं अब बस इंतजार ही
करना है कि ये फरमान कब इनके मुख से निकलता है और सरकार के द्वारा लिये जा रहे
लगातार ऐसे फैसलों से तो यही जाहिर होता दिख रहा कि सरकार सब कुछ कर सकती है पर आम
लोग कुछ नही बस ऐसे फैसलों को फॉलो कर सकती है............
केंद्र सरकार भी मौजूदा आर्थिक स्थिति का हवाला देकर खुब
मनमौजी बनी हूई और लगातार मंहगाई जैसी खतरनाक डायन को आम आदमी पर हावी होने का
मौका दे रही है देश के जाने माने अर्थशास्त्री और वर्तमान प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन
सिंह जी भी अपने घुटने मौजूदा हालात के सामने टेक चुके हैं। मौजूदा हालात को देखते
हुऐ केंद्र सरकार एफडीआई और मंहगाई में बढोतरी जैसे कड़े फैसले ले रही है वो भी
जबकि दब अधिकतर राजनीतिक दल इसके पक्ष में नही है सरकार केवल अपने दम पर इतने
चुनौती पूर्ण फैसले ले रही है लेकिन ये फैसले किस के पक्ष में जा रहे हैं और किसके
विपक्ष में ये तो बाद कि बात होगी
लेकिन लगातार अर्थव्यवस्था का हवाला देकर और अहितकर फैसले
लेकर प्रधानमंत्री सिंघम हो गये हैं प्रधानमंत्री की चुप्पी के चलते सिंह को सुस्त
सिंह की श्रैणी में गिना जाने लगा था लेकिन ये सुस्त शेर कब चुस्त हो गया इसका
यकीन इन फैसलों के बाद हो रहा है। केंद्र सरकार पहले ऐसे कड़े फैसले लेने से
कतराती भी थी और अगर ले भी लेती थी तो सहयोगियों पार्टियों के दबाव में उसमें
थोड़ी रियायत जरूर बरत दिया करती थी लेकिन ममता का साथ छूट जाने के बाद जैसे मानो
केंद्र सरकार खुश सी हो गई है और मनमाने फैसले कर रही है क्योंकि इसे फिलहाल तो
कोई रोकने वाला है नही । सरकार ने जो भी फैसले लिये हैं वो किसी एक राज्य के लिये
नही बल्कि सभी राज्य के लिए लागू होते हैं । सरकार के लिये गये इन फैसलों का जवाब
2014 के लोकसभा चुनाव में जनता तो पूछेगी ही लेकिन उससे पहले दो राज्य गुजरात और
हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी सरकार को आम जनता के सवालो का
जवाब देना होगा अब ये देखना दिलचस्प होगा कि देश कि आर्थिक हालत को ना समझने वाले
आम आदमी के सामने कैसे केंद्र सरकार अर्थशास्त्र का गणित रख पाती है और किस हद तक
एक कॉमन आदमी इस गणित को समझ पाने में सक्षम हो पाता है? फिलहाल वर्तमान में
तो सरकार अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल बखूबी कर रही है लेकिन आम जन अपनी एक ही
शाक्ति यानी वोट का इस्तेमाल किस तरह और किसके फैसले में करती है ये देखना भी
महत्वपूर्ण होगा?
अंकुर पांचाल -6.10.12