Monday 8 October 2012

अर्थव्यवस्था का बहाना मंहगाई को लाना



















दिल्लीवासियों पर एक बार फिर अर्थव्यस्था का बहाना बनाकर मंहगाई का बम केन्द्र सरकार ने फोड़ दिया । मंत्रालय ने गैस ऐंजेंसी संचालकों का कमीशन तो बढा दिया है लेकिन इसका अतिरिक्त भार उपभोक्ताओं पर डाल कर। सरकार के नए फैसले में रियायती दाम पर मिलने वाले सिलेंडर 11.42 और गैर रियायती दर पर मिलने वाले सिलेंडर 12.27 पैसे के बढे हुऐ रेट पर मिलेंगे। हांलाकि जब शुरूआत में दाम बढाने पर चर्चा हो रही थी तब पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री जयपाल रेड्डी ने  डीजल में 5 रू की बढ़ोतरी की घोषणा के साथ रेड्डी ने कहा था कि रसौई गैस और मिट्टी के तेल के दाम नही बढाए जायेंगे लेकिन 12 सब्सिडी के आधार पर मिलने वाले सिलेंडरों की संख्या 6 होगी जिसके बाद से सांतवा सिलेंडर बिना सब्सिडी के आधार पर मिलेगा लेकिन इस फैसले पर  सभी राजनीतिक दलों  ने राजनीति के तवे पर अपनी अपनी रोटियां सेंकनी शुरू की और केंद्र सरकार पर मंहगाई  का ठीकरा फोड़ते हुऐ उसे आड़े हाथों लिया। जगह जगह सरकार के इस फैसले पर कड़े विरोध प्रदर्शन किये गये लोगो ने अपने घर से सिलेंडरों को अंदर से ले जाकर बाहर फैंकना शुरू कर दिया लोगो के इस कड़े रूख के बाद सरकार ने इस 6 सिलेंडरों वाली स्कीम में फेरबदल करते हुऐ सब्सिडी पर मिलने वाले सिलेंडरों की संख्या 6 से बढाकर 9 कर दी वो भी केवल कांग्रेस शासित राज्यों में इसके साथ ही जिसके पास लाल और पीला कार्ड होगा केवल वही 6 सिलेंडरो के बाद से भी सांतवा और बाकी के सिलेंडर सब्सिडी की योजना के अंतर्गत ले सकेंगे और मैंगो मैन अर्थात आम व्यक्ति को 6 सिलेंडर के बाद से कोई रियायत नही दी जायेगी लेकिन अब दोबारा जो फैसला लिया गया है उसमें तो दोनो ही वर्ग को रोना पड़ेगा बशर्ते किसी को कम तो किसी को ज्यादा क्योंकि जो  9 सिलेंडर सब्सिडी पर मिलेंगे उस पर गरीबा रेखा वाले कार्ड धारकों को मौजूदा कीमत से 11.42 पैसे अधिक देने होंगे जबकि कॉमन मैन को 6 सिलेंडरो तक तो मौजूदा कीमत से 11.42 पैसे अधिक देने होंगे लेकिन जैसे ही उसकी सब्सिडी सहित सिलेंडरों की संख्या सीमा खत्म हो जायेगी उसे मौजूदा कीमत से 12.27 पैसै अधिक चुकाने होंगे अर्थात इस फैसले से दोनो वर्ग के आंसू तो निकलना तय है । इस फैसले के अलावा वाहन चालकों पर भी सरकार की गाज गिर सकती क्योंकि पैट्रोल मंत्रालय ने पैट्रोल पर भी दाम बढाने के संकेत जाहिर कर दिये हैं अब बस इंतजार ही करना है कि ये फरमान कब इनके मुख से निकलता है और सरकार के द्वारा लिये जा रहे लगातार ऐसे फैसलों से तो यही जाहिर होता दिख रहा कि सरकार सब कुछ कर सकती है पर आम लोग कुछ नही बस ऐसे फैसलों को फॉलो कर सकती है............
केंद्र सरकार भी मौजूदा आर्थिक स्थिति का हवाला देकर खुब मनमौजी बनी हूई और लगातार मंहगाई जैसी खतरनाक डायन को आम आदमी पर हावी होने का मौका दे रही है देश के जाने माने अर्थशास्त्री और वर्तमान प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह जी भी अपने घुटने मौजूदा हालात के सामने टेक चुके हैं। मौजूदा हालात को देखते हुऐ  केंद्र सरकार एफडीआई और मंहगाई में बढोतरी जैसे कड़े फैसले ले रही है वो भी जबकि दब अधिकतर राजनीतिक दल इसके पक्ष में नही है सरकार केवल अपने दम पर इतने चुनौती पूर्ण फैसले ले रही है लेकिन ये फैसले किस के पक्ष में जा रहे हैं और किसके विपक्ष में ये तो बाद कि बात होगी
लेकिन लगातार अर्थव्यवस्था का हवाला देकर और अहितकर फैसले लेकर प्रधानमंत्री सिंघम हो गये हैं प्रधानमंत्री की चुप्पी के चलते सिंह को सुस्त सिंह की श्रैणी में गिना जाने लगा था लेकिन ये सुस्त शेर कब चुस्त हो गया इसका यकीन इन फैसलों के बाद हो रहा है। केंद्र सरकार पहले ऐसे कड़े फैसले लेने से कतराती भी थी और अगर ले भी लेती थी तो सहयोगियों पार्टियों के दबाव में उसमें थोड़ी रियायत जरूर बरत दिया करती थी लेकिन ममता का साथ छूट जाने के बाद जैसे मानो केंद्र सरकार खुश सी हो गई है और मनमाने फैसले कर रही है क्योंकि इसे फिलहाल तो कोई रोकने वाला है नही । सरकार ने जो भी फैसले लिये हैं वो किसी एक राज्य के लिये नही बल्कि सभी राज्य के लिए लागू होते हैं । सरकार के लिये गये इन फैसलों का जवाब 2014 के लोकसभा चुनाव में जनता तो पूछेगी ही लेकिन उससे पहले दो राज्य गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी सरकार को आम जनता के सवालो का जवाब देना होगा अब ये देखना दिलचस्प होगा कि देश कि आर्थिक हालत को ना समझने वाले आम आदमी के सामने कैसे केंद्र सरकार अर्थशास्त्र का गणित रख पाती है और किस हद तक एक कॉमन आदमी इस गणित को समझ पाने में सक्षम हो पाता है? फिलहाल  वर्तमान में तो सरकार अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल बखूबी कर रही है लेकिन आम जन अपनी एक ही शाक्ति यानी वोट का इस्तेमाल किस तरह और किसके फैसले में करती है ये देखना भी महत्वपूर्ण होगा?
अंकुर पांचाल -6.10.12

Tuesday 18 September 2012

आई अब LG की बारी


आई अब LG की बारी
स्मार्ट फोन की दुनिया में अभी बीते दिनों पहले सैमसंग और एप्पल दोनों नामी गिनामी कंपनीयों ने हैंडसेट निकाले दोनो ही फोन एक दूसरे को टक्कर देते दिखाई दिए आईफोन 5 ने अपनी रिकोर्ड दर्ज बुकिंग की इस स्मार्ट फोन को 24 घंटो के अंदर ही 20 लाख ऑर्डर मिले। ठीक वैसे ही सैमसंग गैलेक्सी नोट 2 ने भी धूम मचाई। बाजार में ऐसे स्मार्ट फोन की लिस्ट में एलजी इलेक्ट्रोनिक्स कंपनी ने अपने नए एंड हाईफोन सीरिज में एक और नया फोन मंगलवार को ऑप्टिमस जी शामिल किया है। सैमसंग और एप्पल से मुकाबले को तैयार आप्टिमस जी अपने ताकतवर हार्डवेयर ओर अपग्रेडेशन के साथ मौजूद है।

                                            
वैसे अगर देखा जाए तो अभी तक स्मार्टफोन के बिजनेस में ज्यादा सफल नही हो पाया है ।सैमसंग और एप्पल की तुलना में एलजी अपनी पहचान बनाने में नाकाम ही रहा है क्योंकि दोनों कंपनी एक दूसरे को ही कड़ी टक्कर देने का दम खम रखती है दोनों कंपनी के स्मार्टफोन ही यूजर्स को ज्यादा लुभाते हैं बावजूद इसके एलजी को उम्मीद है कि उसका ये ऑप्टिमस जी स्मार्टफोन मोटोरोला ,एचटीसी, ZTE, जैसी कंपनियों से मुकाबले को तैयार है
लगातार नए नए स्मार्टफोन के लॉच होने से एक बात तो साफ है कि बाजार में इन फोनों ने युवाओं के बीच अपनी खासी पहचान बनाई हुई है इसकी वजह यही है कि जो एप्लीकेशन स्मार्टफोन के अंदर पाई जाती है वो किसी और में नही होती साथ ही ऐसे ऐसे फीचर यूजर को इसके अंदर मिलते हैं जिसे पहली बार देखकर आश्चार्यचकित होना लाजमी है। तो कुछ ऐसा ही फीटर इस स्मार्टफेन में भी यूजर्स को आश्चार्यचकित करने के लिए मौजूद है इस फोन के फीचर की बात करे तो यह फोन आपकी आवाज सुनकर तस्वीर को अपने अंदर उतार लेगा। मतलब इसका कैमरा वाइस कमांड से एक्टिवेट होगा।
अगर इसकी और खूबियों की बात की जाए तो इस.......
1.       फोन में 13 मेगापिक्सल कैमरे के साथ 4.7 इंच की स्क्रीन है जिसकी पिक्चर क्वालिटी जबरदस्त है जो आईफोन 5 और एस 3 को कड़ी टक्कर दे सकती है
2.       इसका फ्रंट केमरा 1.3 मेगापिक्सल है इसका रिजोल्यूशन 1280x786p है
3.       ऑप्टिमस जी गूगल के एंड्रायड 4.0 ओपरेटिंग सिस्टम पर काम करेगा
4.       एलजी ने अपने इस फोन में Adreno 320 GPU के साथ 1.5 GHz Qualcomm का क्वाड कोर स्नैपड्रगेन प्रोसेसर लगाया है यह फोन सबसे तेज मोबाइल नेटवर्क पर काम करने का साथ एक बार में कई ऑपरेश्नंस को पूरा कर सकता है
5.       तो वही इस फोन की मैमौरी 64 जीबी तक बढाई जा सकती है
6.       ऑप्टिमस जी में 2GB DDR2 RAM लगी हूई। कनेक्टीविटी के लिए OLTE/ 3G WIFI 802.11 B/G/N Blutooth,gps और agps जैसे ऑप्शन है
हाल ही मे बाजार में आईफोन 5,सैमसंग नोट 2 ,नोकिया लूमिया 920,और मोटोरोला का ड्रायड रेजर जैसे स्मार्टफोन बाजार में आ चुके हैं ऐसे में देखना होगा कि एलजी ऑप्टिमस जी इन फीचरों के साथ उपभोक्ताओं में किस कदर अपने आप को शामिल कर पायेगा ?
Ankur panchal 18.9.12

Saturday 15 September 2012

कौन है ऊपर


                                         


कौन है ऊपर
सभी पार्टीयां 2014 के लोकसभा चुनावो को देखते हुऐ अपनी अपनी कमान संभालने में जुट गयी है समाजवादी पार्टी ने भी अपने 6 माह में कार्यकाल में पाई उपलब्धि को गिनाया तो मायावती ने भी अपनी म्यान से तलवार निकालते यूपी और केन्द्र सरकार दोनों पर हमला किया। केन्द्र सरकार पर हमला करते हुए माया ने कहा कि जो भी फैसले युपीए सरकार ले रही है वो सभी जनविरोधी फैसले है। इससे गरीब जनता का जीना और भी मुश्किल हो जाएगा। माया ने कहा कि केन्द्र सरकार को डीजल,गैस पर बढ़े दाम वापस ले लेने चाहिए। इसके बाद बारी आई सपा सरकार की इस पर भी हमला बोलते हुऐ बसपा सुर्प्रीमों ने कहा कि 6 महीनों के भीतर यूपी सरकार ने कुछ भी नही किया है मायावती ने कहा यदि सपा सरकार को उसकी कार्यशैली के आधार पर बीएसपी से  नंबर देने की बात की जाए तो ये सरकार 0 नंबर देने के भी लायक भी नही है ये तो जीरो से भी नीचे चली गयी है ।
माया ने तो सरकार को 6 महीनों में कार्य के आधार पर जीरो से भी नीचे नंबर देने की बात कही लेकिन दूसरी और सपा सरकार के मुख्यमंत्री ने पार्टी के 6 महीने पूरे होने पर प्रेस कांन्फ्रेस कर अपने चुनावी घोषणा पत्र में किये वादों को सभी के सामने रखा।  मुख्यमंत्री ने कहा कि आज तारीख के हिसाब से सरकार के 6 महीने पूरे हुऐ हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार का आर्थिक संकट यूपी मे था सपा सरकार उसके बाद सत्ता में आई है और सरकार के आने के बाद आर्थिक और सामाजिक रूप से उत्तर प्रदेश आगे बढ़ा है इसके साथ ही हर क्षेत्र में दिशा तय हूई है कि उत्तर प्रदेश को किस तरफ ले जाना चाहिए। यूवा मुख्यमंत्री ने कहा कि सपा सराकर को बहुमत इसलिए मिला है ताकि उत्तरप्रदेश खुशहाली के रास्ते पर जाए। इसके बाद मुख्यमंत्री ने यूपी की बदलती तस्वीर के रूप में कहा कि उत्तरप्रदेश बदहाल बिजली , खराब सड़के,सामाजिक बदलाव में और कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ा है उन्होंने पिछली सरकार पर ताना मारते हुऐ कहा कि मुख्यमंत्री आवास पर उस समय की सरकार में घुसने नही दिया जाता था यहां तक की अधिकारियों को भी अंदर आने के लिए जूते चप्पल उतारकर आना पड़ता था लेकिन ये अभी भी वही आवास है जहां पर ऐसे  व्यवहार से आजादी मिली है और जनता को भी सीधे तौर पर सुना जाता है। अखिलेश ने कहा कि पहली बार ऐसी सरकार बनी है जो घोषणा पत्र पर पूरी तरह से अमल कर रही है लेकिन कई सरकार ऐसी भी आई जिन्होंने अपना घोषणा पत्र ही नही बनाया। इसके बाद कहा कि सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह कि सड़कों को जोड़ने का काम हमने बखूबी निभाया है इसका उदाहरण ये है कि जो आगरा और लखनऊ की सड़क जोड़ने का फैसला था वो भी सरकार ने ले लिया है इसी तरह मुख्यमंत्री ने अपनी और भी योजनाओं जैसै बेरोजगारी भत्ता,जनता दरबार,छात्र- छात्रओं के लिए कंप्यूटर देने जैसी योजनाओं को अहम बताकर सपा सरकार की उपलब्धि बताया।
गाजियाबाद में हुऐ उपद्रव पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बेहद नाराज थे। उन्होंने कहा कि जो भी इस उपद्रव में लिप्त होगा उसे सजा जरूर मिलेगी चाहे वह कितना ही बड़ा अधिकारी क्यों ना हो साथ ही उन्होंने कहा कि दोषी अक्सर बख्शे नही जाते और उन्हें सजा  मिलकर रहेगी। ankur 15.9.12

Friday 7 September 2012

आरक्षण की आग ना फैलाओ





आरक्षण आर्थिक आधार पर हो:
सर्वप्रथम तो यह स्पष्ट कर देना बेहतर होगा कि मैं आरक्षण विरोधी नहीं हूं और ना ही उसका पुरजोर समर्थन करता हूं । आरक्षण एक ऐसा गंभीर मुद्दा है या यूं कहे कि गरम मुद्दा है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नही होगी। क्योंकि इस मुद्दे पर हमेशा से ही राजनतिक तबके के लोग सियासत की कयास को लेकर राजनीति खेलते आए हैं और गरीब व दलित जाति को अपना हथियार बनाकर कर उन्हे इस्तेमाल करते आए है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि राजाओं महाराजाओं के समय से ही उच्च वर्ग के लोग दलित जाति के लोगो को छूना भी गुनाह समझते थे लेकिन जैसे ही भारत आजाद हुआ उसमें ऐसे लोगों को ऊपर उठाने के उद्देश्य से आरक्षण को लागू किया गया और उन लोगो को जातियों की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए आरक्षण का सहारा लिया गया ।आज के बदलते दौर में समय ने बेशक करवट ले ली हो लेकिन आरक्षण का मामला वही ढाक के तीन पात। अगर इतिहास के परिप्रेक्ष्य के रूप में देखा जाए तो आज भी आरक्षण उन्ही चुनिंदा जातियों के पास है जिनके पास वर्तमान में वाकई  सर्व संपन्नता है । किन्तु हमें यह भी पूर्ण रूप से स्मरण रखना चाहिए कि देश में अभी भी ऐसे बहुत बड़े लोगो का तबका बचा हुआ है जो किसी  दलित जाति से संबंध नहीं रखते बल्कि उनका संबंध उनकी आर्थिक स्थिति से जुड़ा होता है। जिस कारण ऐसे परिवार के बच्चो को शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरत से मरहूम  तो होना ही पड़ता है साथ ही खान-पान में भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है इसमें वो परिवार शामिल हैं जो शहर में 32 रू और गांव में 26 रू  प्रतिदिन के सहारे अपना जीवन निर्वाह करते हैं ऐसे में कैसे ये अपने बच्चों को लालन पोषण कर सकते हैं? ये हमारे सामने एक बहुत बड़ा सवाल है।
वैसे अगर इस मुद्दे को बिना किसा लालच भरी नजरों से देखा जाए तो जातिय आधार पर आरक्षण होना ही नही चाहिए बल्कि आर्थिक आधार पर सभी को आरक्षण मिलना चाहिए क्योंकि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग में दलित लोगो के साथ साथ वो लोग भी शामिल हो सकेंगे जो जाति के आधार पर मिल रहे आरक्षण से वंचित है
नौकरियों में प्रमोशन योग्यता व अनुभव के आधार पर हो आरक्षण पर नहीं
बात आती है कि प्रमोशन आरक्षण के आधार पर हो या योग्यता व अनुभव के आधार तो इसका एक सीधा सा उदाहरण ये है कि देश का सविंधान ड़ा0 भीम राव अम्बेड़कर ने आरक्षण के आधार पर नही बल्कि अपनी योग्यता व अनुभव के आधार पर लिखा था। ठीक वैसे ही नौकरियों में भी होना चाहिए। जिस व्यक्ति की योग्यता व अनुभव जैसा हो उसे वैसा ही पद या सम्मान मिलना चाहिए चाहे वह किसी भी जाति से संबंध रखता हो। मान लिजिए यदि किसी ऐसे आरक्षण मिले व्यक्ति को उच्च पद दे भी दिया जाए जो ना तो योग्यता के आधार पर उसके काबिल हो और ना ही उसके पास पद से संबंधित अनुभव हो तो ऐसे अनुभवी और योग्याता पूर्ण लोग कहां जाएंगे जो इन पदों के लिए सही रूप में उचित हो। और यदि नौकरियों में प्रमोशन योग्यता व अनुभव के आधार पर दिया जाने लगा तो योग्यता व अनुभव का कोई औचित्य ही नही रह जाएगा और आरक्षण के बल पर ही सब कुछ हासिल कर लिया जाएगा। 

Wednesday 5 September 2012

यहां "फरियाद" केवल सुनी जाती है................


यहां "फरियाद" केवल सुनी जाती है................
लोगों की फरियाद सुनने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रीयों द्वारा जनता दरबार चलाने की कवायद  की जा रही है ऐसी एक कवायद इस बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने भी शुरू की है । विजय बहुगुणा भी सप्ताह में एक बार खुद लोगों की फरियाद सुन कर उनका निवारण करेगें।जनता दरबार से अभिप्राय उस दरबार से है जिसमें लोगों की फरियादों को मुख्य रूप से मुख्यमंत्री से लेकर बड़े औहदे के मंत्री सुनते है और उनका निवारण करते हैं।
राजाओं महाराजाओं के शासन काल में भी इसी तरह प्रजा की फरियादों को सुन कर उनका निवारण किया जाता था ठीक वैसे ही यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी लखनऊ में अपना जनता दरबार लगाया हुआ है, जिसमें अखिलेश यादव राजा होते हैं और बाकी के मंत्री ठीक उसी राजा की तरह वे भी लोगों की फ़रियाद को सुनते हैं। फ़रियादी दूर दराज़ से अपनी अपनी फ़रियादों को लेकर राजा अखिलेश  के सम्मुख उपस्थित होते है ताकि उनकी फरियाद को सुनकर उस पर कोई कार्यवाही की जा सके लेकिन इस दरबार के राजा अखिलेश के द्वारा चलाए जा रहे जनता दरबार का कोई खासा परिणाम देखने को नही मिल रहा है क्योंकि यहां केवल लोगों की फरियादों को सुना जाता है उन पर गौर या किसी तरह की कार्यवाही नही की जाती क्योंकि यहां के मंत्रियों को आराम फरमाने से ही फुर्सत नहीं है वे उस पर कार्यवाही क्या ख़ाक करेंगे ?

यह तस्वीर है प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ग्रहजनपद इटावा की जो वहां पर "अफ़सरशाही" को बयां करती है जहां काम के वक्त सरकारी आला अधिकारी आराम फरमाते नजर आते हैं  ये नजारा सेवा आयोजन के कार्यालय का है जहां जनता के कार्यो का निपटारा करने के बजाए ये महाशय आराम फरमाते दिखाई दे रहे है इस कार्यालय के बाहर बेरोज़गारी भत्ते के लिए लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं जबकि ये सरकारी बाबू मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के राज में आराम फरमा रहे है।  
शिक्षक दिवस के दिन राजा अखिलेश के "जनता का दरबार" का तीसरा दिन था जिसमें हजारों शिक्षक तबादले की फ़रियाद को लेकर दरबार के राजा के पास पहंचे। लेकिन ताजुब की बात तो ये थी कि इस तीसरी बार के जनता दरबार में वो लोग भी मौजूद थे जो पहले और दूसरे जनता दरबार में भी अपनी फरियाद को लेकर अखिलेश के सामने हाजिरी लगा चुके है और हर बार इसी उम्मीद में आते है कि शायद इस बार उनकी बांतो को सुन लिया जाए या इस बार हमारी समस्या का निराकरण हो सके। ऐसे लोगो के साथ हजारों की संख्या में शिक्षक भी दिखें जोकि तबादले की फरियाद  लेकर जनता दरबार में मौजूद थे।
इन शिक्षकों की मांग हे कि महिला शिक्षक की तरह पुरूषों का भी तबादला किया जाए। तो वही महिला शिक्षकों की मांग है कि उनके जूनियर्स का तबादला हो गया लेकिन हम वही के वही है और हमारी इस मांग को सुन कर भी अनसुना किया जा रहा है।
ये है उत्तरप्रदेश का हाल जहां एक और तो लोगों की समस्याओं का निराकरण करने के लिए बड़े बड़े दावों के पुलिंदे बाँधे जाते है वही दूसरी ओर राजा के दरबार में फरियादियों की अभी तक इतनी भीड़ उमड़ी हुई है कि लोग अपनी समस्याओं को लेकर दरबार में मौजूद हैं ताकि उनकी समस्याओं का निराकरण खुद मुख्यमंत्री कर सकें। लेकिन जब तक आला अधिकारी इसी तरह से आराम फरमाते रहेंगे इस प्रकार के किसी भी जनता दरबार का कोई औचित्य नहीं है।
अंकुर पांचाल

Friday 31 August 2012

जीत अधूरी ना रह जाये.........
















अंडर 19 वर्ल्डकप में भारत ने आस्ट्रेलिया को रौंद कर तीसरी जीत दर्ज की है। पहला अंडर 19 वर्ल्ड कप 2002 में मोहम्मद कैफ की अगूवाई में जीता गया था। उसके बाद अंतराष्ट्रीय टीम में खेल रहे विराट कोहली की कप्तानी  2008 में भारत नें अपना परचम लहराया था।जीत की हैट्रिक को बरकार रखने की जिम्मादारी इस बार दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से पढ़ रहे कप्तान उनमुक्त चंद के कंधों पर थी। इस नौजवान ने मिली इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया और भारत के सिर पर अंडर 19 वर्ल्ड कप का ताज संजोया। लेकिन जिस खेल की वजह से आज उनमुक्त को इतनी बढ़ी पहचान मिली है वही खेल खेलना शायद अंडर 19 वर्ल्ड कप में भारत को तिबारा जीत दिलाने वाले इस नौजवान को मंहगी पड़ रही है। क्योंकि अधिकतर समय अपने खेल में व्यस्त रहने के कारण उनमुक्त चंद अपनी उपस्थिति पूरी नहीं कर पाये जिसके कारण इस खिलाडी पर कॉलेज का एक साल बर्बाद होने का खतरा मंडरा रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार विधार्थी को अकादमिक सत्र में सभी छूट के बाद कम से कम अपनी 33.3 फीसदी उपस्थिति पूरी करनी पड़ती है लेकिन अपने खेल में बिजी रहने के चलते वो यह अर्हता पूरी नही कर पायें जिसके कारण उनका एक साल बर्बाद हो सकता है हालांकि यह फैसला अभी कोर्ट में है लेकिन कॉलेज के प्रचार्य विल्सन थंपू का कहना है कि यह फैसला कॉलेज के प्रशासन को करना है क्योंकि यह विश्वविद्यालय का नियम है।  गौरतलब है कि एक बार पहले भी मई में होने वाली दूसरी सेमेस्टर की परीक्षा में भी उनमुक्त को एडमिट कार्ड नही दिया गया गया था जिसके बाद कोर्ट के हस्तक्षेप करने के उपरांत उन्हें परीक्षा देने की अनुमति मिली था हालांकि जब तक यह आदेश आया तब तक दो परीक्षा हो जाने के कारण वह उन विषयों की परीक्षा देने से वंचित रह गये।
इस  बार भी कुछ ऐसी परेशानियों का सामना इस उभरते खिलाड़ी को करना पड़ रहा है। हांलाकि उनमुक्त ने कहा है कि उनके खेल शिक्षक और कॉलेज के प्राचार्य अगले सेमेस्टर में उनकी मदद के लिये तैयार हैं। वहीं खेल मंत्री अजय माकन ने भी इस मसले पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की इनका कहना है कि ऐसा करना बिल्कुल गलत है ऐसे खिलाड़ी को परीक्षा से रोकने की बजाय उसके लिए कोई दूसरा हल निकालना चाहिए था और यह बिल्कुल सत्य भी है अगर इस तरह के खिलाडियों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता रहेगा तो आने वाले समय के खिलाडियों को अपनी उपस्थिति की और ज्यादा तथा अपने खेल के प्रति कम ध्यान जाएगा जिसका खामियाजा विभिन्न खेलों को भुगतना पड़ेगा क्योंकि जब प्रतिभाशाली खिलाड़ी ही नहीं होंगे तो खेलों का महत्व और सभी खेलों से रोमांच ही खत्म हो जायेगा यह बात केवल एक ही खेल क्रिकेट पर लागू नही होता बल्कि यह सभी खेलों पर लागू होती है क्योंकि आज भारत का नाम केवल पढ़ाई या किसी और क्षेत्र में ही अव्वल नहीं है बल्कि खेलों के माध्यम से भी भारत को शीर्ष स्थान पर गिना जाता है।
अंकुर पांचाल 

Thursday 30 August 2012


कोयले की आग, अधर में संसद
घोटालों के जाल में फंसी सरकार के लिए ये कहना उचित होगा- give me sun shine ,give me some rain ,give me another chance ,wanna grow up once again…..
कोयला आंबटन में कैग की रिर्पोट के अनुसार बरती गई अनियमतताओं के कारण विपक्ष ने सरकार को पिछले कई दिनों से घेर रखा है। परिणामस्वरूप बीते दिनों से संसद अपनी कार्यवाही नहीं कर पा रही है।  जिसके कारण रोज आम जनता के पैसों का नुकसान हो रहा है यदि एक दिन संसद की कार्यवाही रूकती है तो लगभग 2 करोड़ का नुकसान होता है विपक्ष बीजेपी और लेफ्ट का सीधे तौर पर यही कहना है कि जिस वक्त कोयला आंबटन में घोटाला हुआ उस वक्त कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के हाथों में था जिसके रहते हुऐ देश का इतना बढ़ा 1.86 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है। इसलिए मनमोहन सिंह इसके मुख्य रूप से दोषी है अत: उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए लेकिन वहीं दूसरी और सरकार ने सभी आरोपों को खारिज करते प्रधानमंत्री के इस्तीफे देने से साफ इन्कार कर दिया है। क्योंकि सरकार का कहना है कि वो उन तमाम सवालों और कैग पर चर्चा के लिए तैयार है जो कैग ने उन पर लगाए हैं। सरकार का ये भी कहना है कि जिन नियमों का आधार पर कोयले की खादानों का आंबटन किया गया था उस पर सभी राज्य की सरकारें राजी थी और ऐसा इसलिए किया गया था जिससे बिजली उत्पादन को बढावा मिलें। यदि नीलामी के जरिए आबंटन किया जाता तो नये कायदे नियम लागू करने पड़ते जोकि एक लंबी प्रक्रिया होती इसलिए पुराने नियमों के आधार पर ब्लॉक आबंटन किया गया। लेकिन भाजपा इस चर्चा के लिए बिल्कुल भी राजी नहीं है क्योंकि जिस तरह से ब्लॉक आवंटन किये गये वो कहीं ना कहीं बीजेपी के मुख्यमंत्री की रजामंदी से किये है सरकार का भी यही मानना है इस मसले में बीजेपी के भी हाथ साफ नहीं है जिसके कारण वह चर्चा के लिए राजी नहीं होती। अत: जैसे ही सदन कार्यवाही के लिए शुरू की जाती है विपक्ष अपने कड़े रूख के साथ सरकार पर हमला करते हुऐ प्रधानमंत्री के इस्तीफे पर अड़ जाती है जिससे संसद के दोनों सदनों में हंगामा शुरू हो जाता है कारणवश सदन शुरू होते ही स्थागित करनी पड़ जाती है। जिस दिन कैग ने संसद में अपनी रिर्पोट पेश की थी उसके आंकड़ो से ही साफ तौर पर जाहिर हो गया था कि ये घोटाला राष्ट्रमंडल खेलों, 2 जी स्पैक्ट्रम,आर्दश सोसायटी, जैसे घोटालों से भी बढ़ा घोटाला है। अत: विपक्ष ने पहले से ही अपने आप को तैयार कर लिया था कि किन आधारों पर उसे संसद में सरकार पर हमला करना है। अभी तो सरकार पहले के तमाम घोटालो की जांच से उभरी भी नहीं थी की कैग ने एक और घोटाले की नई मुसीबत सरकार के सम्मुख खड़ी कर दी और एक बार फिर विपक्ष और बाकी दलों को भी संसद में सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया।
किन्तु इस गरमा गरमी हंगामे में एक बार फिर पहले की तरह संसद ठप होती दिख रही है क्योंकि 2 जी स्पेकट्रम घोटाले के दौरान भी इसी तरह संसद के दोनों सदनों को अपनी कार्यवाही ठप करनी पड़ती थी जिसके कारण बहुत से विधेयक बिना चर्चा के पारित हुऐ या नहीं हुऐ। ठीक उसी तरह इस बार भी संसद की कार्यवाही में रोड़ा अटक रहा है अगर वाकई में संसद की कार्यवाही चालू रखनी है तो विपक्ष को चाहिये की वो हंगामे को छोड़ सरकार के साथ मिलकर कैग की रिर्पोट और घोटाले पर बैठकर चर्चा करें क्योंकि संसद में अभी कुछ महत्वपूर्ण विधेयक जैसे भूमि अधिग्रहण,बैंकिग,स्वास्थय सबंधी आदि विधेयक पर चर्चा की जानी है
अंकुर पांचाल