Thursday 30 August 2012


कोयले की आग, अधर में संसद
घोटालों के जाल में फंसी सरकार के लिए ये कहना उचित होगा- give me sun shine ,give me some rain ,give me another chance ,wanna grow up once again…..
कोयला आंबटन में कैग की रिर्पोट के अनुसार बरती गई अनियमतताओं के कारण विपक्ष ने सरकार को पिछले कई दिनों से घेर रखा है। परिणामस्वरूप बीते दिनों से संसद अपनी कार्यवाही नहीं कर पा रही है।  जिसके कारण रोज आम जनता के पैसों का नुकसान हो रहा है यदि एक दिन संसद की कार्यवाही रूकती है तो लगभग 2 करोड़ का नुकसान होता है विपक्ष बीजेपी और लेफ्ट का सीधे तौर पर यही कहना है कि जिस वक्त कोयला आंबटन में घोटाला हुआ उस वक्त कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के हाथों में था जिसके रहते हुऐ देश का इतना बढ़ा 1.86 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है। इसलिए मनमोहन सिंह इसके मुख्य रूप से दोषी है अत: उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए लेकिन वहीं दूसरी और सरकार ने सभी आरोपों को खारिज करते प्रधानमंत्री के इस्तीफे देने से साफ इन्कार कर दिया है। क्योंकि सरकार का कहना है कि वो उन तमाम सवालों और कैग पर चर्चा के लिए तैयार है जो कैग ने उन पर लगाए हैं। सरकार का ये भी कहना है कि जिन नियमों का आधार पर कोयले की खादानों का आंबटन किया गया था उस पर सभी राज्य की सरकारें राजी थी और ऐसा इसलिए किया गया था जिससे बिजली उत्पादन को बढावा मिलें। यदि नीलामी के जरिए आबंटन किया जाता तो नये कायदे नियम लागू करने पड़ते जोकि एक लंबी प्रक्रिया होती इसलिए पुराने नियमों के आधार पर ब्लॉक आबंटन किया गया। लेकिन भाजपा इस चर्चा के लिए बिल्कुल भी राजी नहीं है क्योंकि जिस तरह से ब्लॉक आवंटन किये गये वो कहीं ना कहीं बीजेपी के मुख्यमंत्री की रजामंदी से किये है सरकार का भी यही मानना है इस मसले में बीजेपी के भी हाथ साफ नहीं है जिसके कारण वह चर्चा के लिए राजी नहीं होती। अत: जैसे ही सदन कार्यवाही के लिए शुरू की जाती है विपक्ष अपने कड़े रूख के साथ सरकार पर हमला करते हुऐ प्रधानमंत्री के इस्तीफे पर अड़ जाती है जिससे संसद के दोनों सदनों में हंगामा शुरू हो जाता है कारणवश सदन शुरू होते ही स्थागित करनी पड़ जाती है। जिस दिन कैग ने संसद में अपनी रिर्पोट पेश की थी उसके आंकड़ो से ही साफ तौर पर जाहिर हो गया था कि ये घोटाला राष्ट्रमंडल खेलों, 2 जी स्पैक्ट्रम,आर्दश सोसायटी, जैसे घोटालों से भी बढ़ा घोटाला है। अत: विपक्ष ने पहले से ही अपने आप को तैयार कर लिया था कि किन आधारों पर उसे संसद में सरकार पर हमला करना है। अभी तो सरकार पहले के तमाम घोटालो की जांच से उभरी भी नहीं थी की कैग ने एक और घोटाले की नई मुसीबत सरकार के सम्मुख खड़ी कर दी और एक बार फिर विपक्ष और बाकी दलों को भी संसद में सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया।
किन्तु इस गरमा गरमी हंगामे में एक बार फिर पहले की तरह संसद ठप होती दिख रही है क्योंकि 2 जी स्पेकट्रम घोटाले के दौरान भी इसी तरह संसद के दोनों सदनों को अपनी कार्यवाही ठप करनी पड़ती थी जिसके कारण बहुत से विधेयक बिना चर्चा के पारित हुऐ या नहीं हुऐ। ठीक उसी तरह इस बार भी संसद की कार्यवाही में रोड़ा अटक रहा है अगर वाकई में संसद की कार्यवाही चालू रखनी है तो विपक्ष को चाहिये की वो हंगामे को छोड़ सरकार के साथ मिलकर कैग की रिर्पोट और घोटाले पर बैठकर चर्चा करें क्योंकि संसद में अभी कुछ महत्वपूर्ण विधेयक जैसे भूमि अधिग्रहण,बैंकिग,स्वास्थय सबंधी आदि विधेयक पर चर्चा की जानी है
अंकुर पांचाल

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