आरक्षण
आर्थिक आधार पर हो:
सर्वप्रथम तो यह स्पष्ट कर देना बेहतर होगा कि मैं आरक्षण
विरोधी नहीं हूं और ना ही उसका पुरजोर समर्थन करता हूं । आरक्षण एक ऐसा गंभीर
मुद्दा है या यूं कहे कि गरम मुद्दा है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नही होगी।
क्योंकि इस मुद्दे पर हमेशा से ही राजनतिक तबके के लोग सियासत की कयास को लेकर
राजनीति खेलते आए हैं और गरीब व दलित जाति को अपना हथियार बनाकर कर उन्हे इस्तेमाल
करते आए है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि राजाओं महाराजाओं के समय से ही
उच्च वर्ग के लोग दलित जाति के लोगो को छूना भी गुनाह समझते थे लेकिन जैसे ही भारत
आजाद हुआ उसमें ऐसे लोगों को ऊपर उठाने के उद्देश्य से आरक्षण को लागू किया गया और
उन लोगो को जातियों की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए आरक्षण का सहारा लिया गया ।आज
के बदलते दौर में समय ने बेशक करवट ले ली हो लेकिन आरक्षण का मामला वही ढाक के तीन
पात। अगर इतिहास के परिप्रेक्ष्य के रूप में देखा जाए तो आज भी आरक्षण उन्ही चुनिंदा
जातियों के पास है जिनके पास वर्तमान में वाकई सर्व संपन्नता है । किन्तु हमें यह भी पूर्ण रूप
से स्मरण रखना चाहिए कि देश में अभी भी ऐसे बहुत बड़े लोगो का तबका बचा हुआ है जो
किसी दलित जाति से संबंध नहीं रखते बल्कि
उनका संबंध उनकी आर्थिक स्थिति से जुड़ा होता है। जिस कारण ऐसे
परिवार के बच्चो को शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरत से मरहूम तो होना ही पड़ता है साथ ही खान-पान में भी भारी
दिक्कतों का सामना करना पड़ता है इसमें वो परिवार शामिल हैं जो शहर में 32 रू और
गांव में 26 रू प्रतिदिन के सहारे अपना
जीवन निर्वाह करते हैं ऐसे में कैसे ये अपने बच्चों को लालन पोषण कर सकते हैं? ये हमारे सामने एक बहुत बड़ा सवाल है।
वैसे अगर इस मुद्दे को बिना किसा लालच भरी नजरों से
देखा जाए तो जातिय आधार पर आरक्षण होना ही नही चाहिए बल्कि आर्थिक आधार पर सभी को
आरक्षण मिलना चाहिए क्योंकि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग में दलित लोगो के साथ साथ
वो लोग भी शामिल हो सकेंगे जो जाति के आधार पर मिल रहे आरक्षण से वंचित है
नौकरियों
में प्रमोशन योग्यता व अनुभव के आधार पर हो आरक्षण पर नहीं
बात आती है कि
प्रमोशन आरक्षण के आधार पर हो या योग्यता व अनुभव के आधार तो इसका एक सीधा सा
उदाहरण ये है कि देश का सविंधान ड़ा0 भीम राव अम्बेड़कर ने आरक्षण के
आधार पर नही बल्कि अपनी योग्यता व अनुभव के आधार पर लिखा था। ठीक वैसे ही
नौकरियों में भी होना चाहिए। जिस व्यक्ति की योग्यता व अनुभव जैसा हो उसे वैसा ही
पद या सम्मान मिलना चाहिए चाहे वह किसी भी जाति से संबंध रखता हो। मान लिजिए यदि
किसी ऐसे आरक्षण मिले व्यक्ति को उच्च पद दे भी दिया जाए जो ना तो योग्यता के आधार
पर उसके काबिल हो और ना ही उसके पास पद से संबंधित अनुभव हो तो ऐसे अनुभवी और
योग्याता पूर्ण लोग कहां जाएंगे जो इन पदों के लिए सही रूप में उचित हो। और यदि
नौकरियों में प्रमोशन योग्यता व अनुभव के आधार पर दिया जाने लगा तो योग्यता व
अनुभव का कोई औचित्य ही नही रह जाएगा और आरक्षण के बल पर ही सब कुछ हासिल कर लिया
जाएगा।
आखिर आरक्षण को मुद्दा बनाकर राजनीति क्यों खेली जाती है???????
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